तुम
तुम
मेरी खिलती मुस्कराहट का
गुलिस्तां हो तुम,
मेरी ज़िन्दगी में एक सच्चा
फरिश्ता हो तुम,
दुआओं में सदा माँगा जिसे
वो मन्नत हो तुम,
तसव्वुर-ए-जाना नहीं...
मेरी जन्नत हो तुम
रफ्ता-रफ्ता मुझमें शोर करती
वो आवाज़ हो तुम
उस मुहब्बत का निशाँ
वो तख़्त-ओ-ताज़ हो तुम
कब दूर हुए थे तुमसे,
रोज़ जीने का अंदाज़ हो तुम
दिन तुम पर शुरू, तुम पर ख़त्म
फिर क्यों नाराज़
हो तुम।।