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Mukesh Bissa

Abstract

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Mukesh Bissa

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डर लगता है

डर लगता है

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अंधेरे को रोशनी से डर लगता है

जिंदगी को मौत से डर लगता हैं।


जिनके चेहरे पर मुस्कान होती है

उनको खामोशी से डर लगता है।


जीवन की आपाधापी बहुत है

इस अंधी दौड़ से डर लगता है


अच्छे दिन इतने देख नहीं पाए

बुरे दिन की आहट से डर लगता है।


परायो से ज्यादा अपनो से दर्द दिया

रिश्तों की सोहबत से डर लगता है।


यहां फूलों के संग कांटे भी है

इस बगिया में जाने से डर लगता है


चुंधिया गई इस चमक से आंखें

इस ऐशो आराम से डर लगता है।


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