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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Abstract

5.0  

GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

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एकता का भारत

एकता का भारत

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ना अबिल देखता हूँ 

ना रिजवान देखता हूँ 

ना देखता हूँ मन्जीता 

ना मनीष देखता हूँ 

नामों पर नहीं होता इलाज

मैं मरहम का जरिया हूँ 

मैं जख्मों की दवा देखता हूँ 


ना शक्ल देखता हूँ 

ना कोई पहचान देखता हूँ 

ना धर्म देखता हूँ 

ना ईमान देखता हूँ 

चेहरा देखकर प्यास नहीं मिटाते 

मैं दान का जरिया हूँ 

मैं भूखा पेट देखता हूँ 


ना भीड़ देखता हूँ 

ना अकेलापन देखता हूँ 

ना मैं अमीर ना गरीब देखता हूँ

सर्द रात की ठंड है कातिल

मै कम्बल-रजाई का जरिया 

मै इंसाँ की ठिठुरन देखता हूँ 


ना शर्मा ना 

ना कुमार देखता हूँ 

ना देखता हूँ तेली-सैफी 

ना अंसारी का मिजाज देखता हूँ

मोहब्बत पैदा नहीं होती 

जात-पात से

मैं पैगाम का जरिया हूँ 

मैं अमन और शान्ति देखता हूँ।


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