Krishna Khatri
Romance
पूनम की रात
चांदनी बिखेरता चाँद
आस-पास में
झिलमिल सितारे
और....
बीच में तुम !
यही इल्तिजा ह...
जब तक मीठा न ...
फितरत !
जी भर के जी ल...
जी लेंगे हम द...
आंखों ने देखा...
खलिश !
अश्रु मेरे .....
मां तुम अमृता...
शामिल हर घड़ी मेरी दुवाओं में है वो सुख-दुख का साथी बन के आशाओं में है वो। शामिल हर घड़ी मेरी दुवाओं में है वो सुख-दुख का साथी बन के आशाओं में है वो।
कि जब वो आकर मुझे अपने हाथों में भरेगा मैं मुक्त हो जाऊँगी। कि जब वो आकर मुझे अपने हाथों में भरेगा मैं मुक्त हो जाऊँगी।
मेरी जिंदगी के सारे पढावों को पढ़ ले। मेरी जिंदगी के सारे पढावों को पढ़ ले।
तुझसे शुरू होकर, तुझमे ही खत्म हो जाने की। तुझसे शुरू होकर, तुझमे ही खत्म हो जाने की।
खिल उठता है नसीब, मन पावन हो जाता है यह रिश्ता है अजीब। खिल उठता है नसीब, मन पावन हो जाता है यह रिश्ता है अजीब।
झूम झूम यूँ धरती गाती गीत रे, जब धरा पर रिमझिम बरसे प्रीत रे. झूम झूम यूँ धरती गाती गीत रे, जब धरा पर रिमझिम बरसे प्रीत रे.
तुझे याद करने की नहीं जाती, को पहले भी आदत थी। तुझे याद करने की नहीं जाती, को पहले भी आदत थी।
प्यार कोई खेल नहीं अब तेरे बिन जी लगता नहीं। प्यार कोई खेल नहीं अब तेरे बिन जी लगता नहीं।
मेरा भी उसके घर तब ही जाना होता था, होली या दीवाली हो त्योहार बहाना होता था, मेरा भी उसके घर तब ही जाना होता था, होली या दीवाली हो त्योहार बहाना होता था,
कौन दीपक बन हृदय में जगमगाता है? कौन है जो द्वार मन के खटखटाता है? कौन दीपक बन हृदय में जगमगाता है? कौन है जो द्वार मन के खटखटाता है?
वो यादें अब धुंधली हो चुकी है पर याद आती है। वो यादें अब धुंधली हो चुकी है पर याद आती है।
छा गई हरियाली देखो, फूल भी हैं खिल गए। गुनगुनाते भौंरे भी आ कर, कलियों से देखो मिल गए। छा गई हरियाली देखो, फूल भी हैं खिल गए। गुनगुनाते भौंरे भी आ कर, कलियों से देख...
वह यादें हमसे कोसों दूर रहकर भी हमको तड़पाती हैं। वह यादें हमसे कोसों दूर रहकर भी हमको तड़पाती हैं।
अधिकार, भारतीय नागरिक के स्वरूप में..! अधिकार, भारतीय नागरिक के स्वरूप में..!
जिसकी खातिर मैं दर-दर भटकता रहा । रात दिन मेरे अंदर वो बैठा रहा ।। जिसकी खातिर मैं दर-दर भटकता रहा । रात दिन मेरे अंदर वो बैठा रहा ।।
जो बोया है वो एक दिन जरूर काटोगी! पछताओगी बहुत एक दिन ख़ुद को डांटोगी!! जो बोया है वो एक दिन जरूर काटोगी! पछताओगी बहुत एक दिन ख़ुद को डांटोगी!!
सोच में डूबी रहती हूँ, शब-औ-सहर वक़्त की शाख पर कोई, पल ठहरा सा है… सोच में डूबी रहती हूँ, शब-औ-सहर वक़्त की शाख पर कोई, पल ठहरा सा है…
मैं मुग्ध वसन में लिपटा था तुम लज्जा से इठलाई थी, मैं मुग्ध वसन में लिपटा था तुम लज्जा से इठलाई थी,
मेरा दिल चुराकर ले गई , नशीली नजर आपकी मेरा चैन चुराकर ले गई , कंटीली नजर आपकी। मेरा दिल चुराकर ले गई , नशीली नजर आपकी मेरा चैन चुराकर ले गई , कंटीली नजर आप...
एक बार जरा सा कह दो तुम मैं हवा सा बहता आ जाऊंगा, एक बार जरा सा कह दो तुम मैं हवा सा बहता आ जाऊंगा,