तुम
तुम
बुरे वक्त में जो काम आए,
वह एहसास हो तुम।
अंधेरे में जो टिमटिमाए,
वह चिराग हो तुम।
बीमारी में जो दवा बन जायें,
वह वैद्य हो तुम।
हर पल जिसकी याद सताए,
वह गुमनाम हो तुम।
साथ नही हो, फिर भी साथ
का अहसास कराए,
वह शख्शियत हो तुम।
जिसे कभी न भूल पाये,
वह प्रेम की मूरत हो तुम।।