STORYMIRROR

Sandeep Kumar

Abstract

4  

Sandeep Kumar

Abstract

तुम प्रेरणा स्रोत नवपथ का बन जाओगे

तुम प्रेरणा स्रोत नवपथ का बन जाओगे

1 min
253

आगे बढ़ो रास्ता दिखेगा

बाधाएं सारे खुद ब खुद हटेगा

थक हार कर ना बैठ ऐ मुसाफिर

अपने हौसले से ही अपना मंजिल पाएंगा।।


कोई नहीं जो तेरा साथ देगा

कस्ट में केवल बात देगा

यह दुनिया का रीत है

थोड़ा हिम्मत रख तेरा जीत है।।


कदम कदम पर कुछ नया सीखोगे

विचलित ना हो इतिहास लिखोगे

हिम्मत और साहस से ही

ऐ मुसाफिर तुम मंजिल को पाओगे।।


दुनिया का ना सुनो ना तो सुनते रह जाओगे

अगर हिम्मत किया तो मंजिल छू कर आओगे

अपने नाम को फिर हर लबो पर पाओगे

तुम प्रेरणास्रोत नवपथ का बन जाओगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract