तुम नहीं हो
तुम नहीं हो
उस लम्हे का मुझे बेसब्री से इंतजार है,
जब यह जमीन पूरे आसमा को
अपने आगोश मे ले लेगी ,
और मुझे तेरे पास होने का एहसास दिलाएगी ,
पर मुझे पता होगा तुम नहीं हो ।
इंतजार में तेरे मेरा बुढ़ापा भी आयेगा ,
मुझे कमज़ोर और मशरूफ बना देगा.
मैं सहारो की तलब में सदा दूंगा ,
बच्चे हाथ पकड़कर चलाएंगे,
पर मुझे पता होगा तुम नहीं हो ।
मेरी मंजिल भी तुम थीऔर मुकद्दर भी तुम हो,
रातें आएंगी और गुजर जाएंगी.
तेरे वादे , शर्ते,और मुस्कुराहटों का याद दिलाएंगे ,
मैं अचानक से उठकर बैठ जाऊंगा
और दरवाजे की तरफ बड़ी उम्मीद से देखूंगा,
पर मुझे पता होगा तुम नहीं हो ।
मेरी नजर कमजोर हो चुकी होगी फिर भी,
बहुत दूर तक दिखाई देगी राह तुम तक जाने वाली ,
मेरे पैर तुम तक पहुंच नहीं पाएंगे लड़खड़ाएंगे और फिर,
नए जोश से संभालने की कोशिश करेंगे,
पर मुझे पता होगा तुम नहीं हो I
हमारे बचपन और जवानी की तस्वीर
सामने वाली दीवार पर टंगी होगी ,
पानी की बौछारों के साथ बादल भी गरजेंगे ,
और मैं एक कोने में टूटी कुर्सी पर बैठकर
उस तख्ती को निहारूगां जिस पर तुमने प्यार लिखा था ,
पर मुझे पता होगा तुम नहीं हो ।
फिर सर्द हवा मेरे रूह से होकर गुजरेगी,
और मेरा रोम रोम कांप उठेगा ,
तस्वीर गिर कर टूट जाएगी और मुझे
तुम से दूर होने का एहसास दिलाएगी ,
पर मुझे पता होगा तुम नहीं हो ।
पर मुझे पता होगा तुम नहीं हो ।