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Dr Vivek Madhukar

Abstract

5.0  

Dr Vivek Madhukar

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तुम हो तो मैं हूँ

तुम हो तो मैं हूँ

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सूर्य भले रोज उदित होना छोड़ दे,

चंदा भले शीतल चांदनी बिखेरना छोड़ दे,

हवा भले मंद-मंद बहना छोड़ दे,

मेरा दिल कभी नहीं छोडेगा धड़कना

तेरी खातिर, सिर्फ तेरी खातिर, मेरी रानी।


बूँदें भले आसमान से धरती पर छोड़ दें बरसना,

लहरें भले समुद्र की किनारे पे छोड़ दें गरजना,

पंछी भले भोर की बेला में छोड़ दें चहकना,

सितारे भले निस्सीम गगन में छोड़ दें टिमटिमाना,

मेरा दिल कभी नहीं छोडेगा तुम्हें याद करना,

हर पल सिर्फ तुम्हें याद करना, मेरी रानी।


गुजर जाएँ दिन पर दिन,

मास पर मास, साल दर साल,

हर मौसम में, जीवन के हर पल में,

धड़कता रहेगा यूँ ही दिल मेरा

तेरे लिए अनवरत।


घड़ियाँ जब भी आई हैं कठिन,

बोझिल जब भी हुई हैं साँसें,

परिस्थितियाँ जब भी हुई हैं जटिल,

हमारा प्यार और गहरा हुआ है,

हमारा विश्वास और ठोस

हुआ है.


मेरी आँखें, उनकी रौशनी,

तेरे लिए हैं सदा,

मेरे सपने, मेरा वर्तमान,

मेरा भविष्य तेरे लिए हैं सदा,

मेरे ख्याल, मेरे विचार तेरे लिए हैं सदा,

क्यूंकि मेरा दिल, मेरा पूरा वजूद,

तेरे लिए है सदा।


आते हैं जीवन में ऐसे भी पल

खुद पर खोने लगता हूँ भरोसा,

शायद इसलिए कि मैं भी

इंसान हूँ.

इसलिए प्रभु, कान्हा मेरे

मदद करना मेरी कि

रह सकूं मैं सच्चा और भरोसेमंद

अपनी पत्नी के प्रति,

और डूबा रहूँ उसके प्रेम में यूँ ही सदा।

अंतिम सांस तक सच्चा रखना मुझे,

हम दोनों सदा “दो दिल, एक जान”

बने रहें यूँ ही।


आओ रानी, मेरी प्रियतमा,

मेरी सहभागिनी, मेरी जान,

आओ पास मेरे,

और बाँध लो कुछ यूँ

प्रेम-पाश में अपने कि

अलग कर सके ना

कोई हमें कभी

तुम हो तो मैं हूँ।


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