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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Abstract

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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

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तुम ही मेरा ऑक्सीजन हो

तुम ही मेरा ऑक्सीजन हो

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तुमसे बात करने का रीज़न खोजता हूं मैं

तुमसे नज़रें मिला पाऊं विज़न खोजता हूं मैं


कि तुमसे दूर होते ही हलक में जान अटकी है

बसी तुममें हैं वो जो ऑक्सीजन खोजता हूं मैं


अब लगता है कि प्रीस्टले ही बन जाऊं मैं

आक्सीजन की कमी को पूरा कर दूं मैं


पर तुम्हारे बिना वो भी संभव नहीं

क्योंकि तुम ही मेरा ऑक्सीजन हो तुम


आ ही जा अब ऐ मेरे आक्सीजन कि

सांस हमारी अब चलती ही रहे


एक ये दिल है मेरा जो हरपल बस

तुझ पे ही मरता रहे।


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