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Bhawna Vishal

Romance

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Bhawna Vishal

Romance

'तुम और मैं'

'तुम और मैं'

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तुम और मैं,

जैसे कई उदास शामों के बाद,

नवंबर की कोई,

हल्की सर्द,

खुशनुमा सुबह,

तुम और मैं,

कोहरे में लिपटे

सूरज को निहारते,

दो हाथों में,

एक प्याला मीठी

महकदार कॉफी,

तुम और मैं,

अलसायी आंखों से,

गिनी हुई ,

बिस्तर की चंद

 तितर-बितर सी सिलवटें,

तुम और मैं,

जैसे इक तोहफा 

फूल का,

फूलों सी कोमल

मुस्कान के साथ,


तुमसे मेरे 

अनकहे रिश्ते के,

बस कुछ नाम है यही,

इक फूल,

दूजा कोहरा,

इक महकती कॉफी,

और चंद सिलवटें

बिस्तर की ।

   


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