तुम और आप
तुम और आप
खोखले ‘आप’को हार्दिक ‘तुम’ से
बिना कुछ कहे बदल दिया उसने
और सारे ख़ुशनुमा सपने
प्यार भरी मेरी रूह में जगा दिये उसने.
सोच में डूबा खड़ा हूँ उसके सामने,
उससे नज़रें हटाने का नहीं है साहस;
और कहता हूँ उससे: कितनी प्यारी हो तुम !
और सोचता हूँ, कितना प्यार करता हूँ तुमसे !