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Charumati Ramdas

Abstract Romance Classics

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Charumati Ramdas

Abstract Romance Classics

अलेक्सान्द्र पूश्किन की एक कविता

अलेक्सान्द्र पूश्किन की एक कविता

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चाहा तुम्हे: 

चाहत की आग अब भी शायद,

मेरे दिल में बुझी नहीं पूरी;

मगर न भड़्कायें तुमको अब ये शोले,

सौगात दर्द की तुम्हें न अब दूँगा।


चाहा तुझे ख़ामोशी से, बेउम्मीदी से,

कभी डरते-डरते,

कभी रश्क से जलते;

मगर चाहा इस सच्चाई से,

इस नज़ाकत से,

ख़ुदा करे कि रहो तुम औरों को भी यूँ ही प्यारे।


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