तुझे ही पाया
तुझे ही पाया
तेरी किसी बात से नाराज़ रह नहीं पाया
हर पल, हर लम्हे, हर हिस्से में तुझे ही पाया।
मौत भी ज़िंदगी से हार कर चली गई
जब आई मौत तो उसने तेरे ख्यालों में पाया।
झुलस गए सारे फूल गुलिस्तां के भी
हर फूल की शिकायत थी, तू इस गुलशन में क्यों आया।
देखकर लगा ही नहीं तू सदियों पुराना है
आज भी देखा तो तेरी आँखों को चमकता ही पाया।
तुझसे क्या सहारा मांगता जीने का जब
हर पल, हर लम्हे, हर हिस्से में तुझे मरता पाया।