STORYMIRROR

GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy Inspirational

4  

GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy Inspirational

तुझ पर मन तनी गहराई है

तुझ पर मन तनी गहराई है

1 min
229

जब मस्त हो बहार आती है

श्रंगार कर प्रकृति इठलाती है

सु स्वर श्रवण घनी अमराई है

तुझ पर मन तनी गहराई है I

मेघ गर्जन सर सर स्वर है

धरा अंबर सब दर तर है

अपलक नयन, मन भर आई है

तुझ पर मन तनी गहराई है I

नदी ताल जल, प्रवाह पल पल

अटूट नाद, संगीत मय अंचल

नीर संग खग चहक आई है

तुझ पर मन तनी गहराई है I

सुना उदर चुभती धूप है

थिरकते पांव, उल्लासित रूप है

जीवन का क्षण, आनन्द समायी है

तुझ पर मन तनी गहराई है I

कोई तुझे जाने, वहां नहीं विराम है

देखें तुझे कहां, तू नयनाभिराम है

तेरी छवि कण कण में बन आई है

तुझ पर मन तनी गहराई हैI


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract