तुझ बिन ये चार धाम
तुझ बिन ये चार धाम
तुझ बिन ये चार धाम किस काम के "जाना"
मैने तो काशी-मथुरा सब तुझ को ही माना
सूरज में दिखती है सूरत तुम्हारी ही "जाना"
जब जब होता है धरा पर किरणों का आना
मेरी फुलवाड़ी मेरा मधुबन तुम से है "जाना"
हर साख में आ कर तुम ही खिल आना
सिर पे सजाऊँ तुझे चन्द्र सा "जाना"
रहू घोर तपस्या में लीन तू गौरी-उमा बन आना
रहे प्यार अपना अखंड हिमालय सा "जाना"
तू बन के बर्फ मुझ पर पिघल सी जाना
तुझ बिन ये चार धाम किस काम के "जाना"
मैंने तो काशी-मथुरा सब तुझ को ही माना।