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Babu Dhakar

Inspirational

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Babu Dhakar

Inspirational

टूटते रिश्ते

टूटते रिश्ते

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जो है ही नहीं मौजूद तथ्य

उनको बतलाने लगे है रिश्ते

जो है यहीं मौजुद सत्य

उनको छूपाने लगे है रिश्ते।


बिना कारण ही किसी का साथ छोड़ देते हैं

कोई ठोस कारण स्पष्ट नहीं कर पाते हैं

बिन याद किये न जाने कैसे रह पाते हैं

किसी के अहसास जरा भी नहीं समझ पाते हैं।


अंधेरी रातों को यादों संग बिताना

अधुरी बातों से मन का घबराना

बुरी आदतों का हर ओर से घेर लेना

सारी उम्र बनते ऐसे रिश्ते जीवन जंजीर।

 

जरा से भेद से मतभेद होना

सुन कर भी अनसुना कर देना

>जब दूर होने का पक्का सोच लिया जाता

तब बहाना कोई अपने आप बन ही जाता।


जो है ही नहीं स्वीकार

उस पर विचार क्या करना

जो गलती पर आंखे नीची होती ना

उन पर विश्वास क्या करना।


जो घड़े कच्चे है उनमें पानी भरने लगे है

घड़े भी फुटे और पानी भी बह गया

अपनी गलती छूपाने में हद से गुजर जाते

स्वयं गलत कर के भी दोष दुसरों पर लगा देते।


जो दरारें आ जाये रिश्तों में

वो पड़ेगी चूकानी किश्तों में

जो हुई देर तो भार बढ़ जायेगा

वो ब्याज विवाद बन उभर जायेगा।


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