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Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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टूटता तारा

टूटता तारा

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जीवन की आपाधापी में गुम हुआ जो,

जिम्मेदारियों के बोझ तले दब गया जो,

खुशियों की तलाश में भटकता ही रहा,

मैं नही कोई और बस एक टूटता तारा।


प्रेम समर्पण और त्याग की मिसाल हूँ,

विश्वास की राह पर चले वो सवाल हूँ,

अपनी पहचान बनाने को आतुर सदा,

मैं आसमा से गिरा टूटता हुआ सा तारा।


हर दुआओं को पूरा करने में काम आऊँ,

बिखरते वजूद को मैं संभालना ही चाहूँ,

चाहतों को पूरा करने को प्रयासरत्त रहा,

झिलमिल सा मैं बनूँ एक टूटता हुआ तारा।


माँ के कलेजे का टुकड़ा बन दिल में समाऊँ,

बनकर सपना मैं आँखों में सदा ही बस जाऊँ,

जीवन की राह पर साथी बनकर संग मैं चलूँ,

जगमग सा नभ मैं करूँ मैं टूटता हुआ तारा।


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