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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Abstract

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

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तरतीब

तरतीब

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बात में जिसकी बा - खुदा असर नहीं होता 

कोई अज़नबी उस पर तो आशना नहीं होता 


कोई कहता है क्या कमाल करती हैं आप 

कोई कहता है विस्मिल्लाह सी हैं आप


जो मैं समझूँ इन सभी के मायने 

भूल जाने होंगे हमको सभी क़ायदे 


ऐसी बातों से जिंदगी पर असर नहीं होता 

वस्ल की रात है आज कौन है सोता 


तंज़ के तीर तो चलते रहेंगे उम्र भर क्या कहोगे 

लोग ऐसे थे ऐसे ही रहेंगे उम्र भर क्या करोगे 


जज्बातों से खेलने का अब सलीका सीख लो 

कुछ करो या ना करो पर दिखावा सीख लो 

 

सांस तो हैं जिस्म की खातिर, बेहद अहम् 

तुम मसाहिल पर हो कर खड़े, इनसे लड़ना सीख लो 


आइये हम मिलाएं हाँथ इक दूजे से अभी 

खाकर कसम संग चलेँगे अलग न होंगे कभी 


रास्ते अनजान हैं ये जानते हैं , तो क्या हुआ 

डर को कह दें बाय हम साथ हैं ये दें बता  


बात में जिसकी बा - खुदा असर नहीं होता 

कोई अज़नबी उस पर तो आशना नहीं होता।


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