त्रिज्या से व्यास बन गई हूँ
त्रिज्या से व्यास बन गई हूँ


हरी-भरी धरती थी
अब तो नीला आकाश बन गई हूँ
तेरे प्रेम में ओ पगले !
त्रिज्या से मैं व्यास बन गई हूँ।
तू क्या जाने
मेरे जीवनवृत्त की
एकमात्र परिधि तू ही है
अब बावली होकर
तेरे दिल की
आनी-जानी सांस बन गई हूँ
तेरे प्रेम में ओ पगले !
त्रिज्या से मैं व्यास बन गई हूँ।