तन्हाई
तन्हाई
तन्हाई से दोस्ती, कर ले ओ इंसान !
तन्हाई देती सुकूं, जब दुःख दे जहान।।
तन्हाई में डूब के, ख़ुद को तू पहचान।
जिस मोह में चित्त रमां, वो सब मृदा समान।।
ख़ुद से ही हो सामना, तन्हाई जब मित्र।
भेद मिले कई रुह से, हो संतुष्टि विचित्र।।
तन्हाई से दोस्ती, कर ले ओ इंसान !
तन्हाई देती सुकूं, जब दुःख दे जहान।।
तन्हाई में डूब के, ख़ुद को तू पहचान।
जिस मोह में चित्त रमां, वो सब मृदा समान।।
ख़ुद से ही हो सामना, तन्हाई जब मित्र।
भेद मिले कई रुह से, हो संतुष्टि विचित्र।।