तन्हाई का मौसम।
तन्हाई का मौसम।
तन्हाई का मौसम हमनें करना बार-बार है,
ज़िन्दगी का सफ़र करना तन्हा ही यार है।
असल में जो फूलों का जो कि हकदार हैं,
रूठकर गया हमसे जो वो हमारा प्यार है।
ख़ुश बहुत विवाह करके वो बेवफ़ा यार है,
बन के फकीर जाना अध्यात्मिक संसार है।
प्यार वही एक सच्चा, एक बेवफ़ा प्यार है,
आज भी बेवफ़ाई से दुखी सच्चा प्यार है।
मोहब्बत बाज़ार में बिकती सरेआम ही है,
सच्चे प्यार का कोई मोल नहीं अब यार है।
कहते सच्चे प्यार से ही आ जाती बहार है,
तन्हाई के मौसम में किताबें ही तो यार है।