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Pranjali Kalbende

Abstract Inspirational

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Pranjali Kalbende

Abstract Inspirational

तन की अभिलाषा

तन की अभिलाषा

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ना उलझो इतना भी

तन की खूबसूरती में

भली भाँती जानते हम

फिर भी फँसे नश्वर कांती में.....


दो पल की रौनक है

छलावा आँखों का समझो

मन की सुंदरता जानो

अनंत सुख की पहेली बुझो.....


उपरी बनावट तन की

कुछ क्षणों को दे शीतलता

अंतरंग की आवाज सुनो तो

जीवन में सहजता.....


सजाना है हमें मन को

अनेकोत्तम आभूषणों से

तन के लाड दुलार से निकले

तो ध्यानस्थ होंगे सदाचारों से....


खुब भरेंगे खुद में सद्गुण

मंगल सदिच्छा करते हुए

मानव जीवन पाया हमने

नहीं गवायेंगे इसे रोते हुए....


नयी उमंग नये सपने

पनपते है इस सुंदर दिल में

मन को बनायेंगे इतना मजबूत

तन की अभिलाषा ना हो उसमें.....



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