दर्द
दर्द
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बेवफाई का दर्द है
खंजर सा चले
आह बस निकली है
दिन रात छले....
धुँआ धुँआ बना देखो
आँरजू तडपती है
बरसा है गम ऐसे
आँसुओ की बाढ है.....
गया तू जो छोड के यूं
दुनिया विरान है
पतझड का मौसम जैसे
उम्मीदें बेहाल है.....
मन्नते थीं कई सारी
दुँवाऐ नाकाम है
बिछड गया जो ऐसे
मेरा क्या कसूर है....