तमन्ना
तमन्ना
तमन्ना दिली है अगर यह तुम्हारी,
की दुखों से हो अब निजात हमारी,
तो मात -पिता के चरणों में आकर के प्राणी,
तू बिगड़ी हुई अपनी किस्मत बना ले।
है पापी तू ,कामी तू, क्रोधी तो फिर क्या,
यहां तेरे जैसे ही लाखों मिलेंगे,
कहां है वे, कितने सुधर गए वे,
सँवर सज गए हैं मात-पिता की कृपा ले।
हजारों ने बिगड़ी बनाई है अब तक,
दिखाई है राह मात-पिता की चलकर,
तू व्याकुल हो रो रहा क्यों उधर है,
सुलगता हुआ दीप फिर से जला ले।