''तलाश है''
''तलाश है''
ना जाने किसकी तलाश है... किसे खोज रही हूँ...
इक्कीसवीं सदी में जो साथ मेरे
कदम से कदम मिला के चले
उन्नसवीं सदी जैसा वादों का पक्का
हमकदम खोज रही हूँ....
जहाँ आजकल हर जु़बान पे कैपेच्यूनो का स्वाद है
वहाँ अपने जैसा चाय का आशिक खोज रही हूँ....
ना ऊँची इमारत, ना महंगी दावत
ना कार की कोई दरकार है..
बिन मंज़िल की राहों में जो करा दे सायकल की सैर
ऐसा यार खोज रही हूँ....
ना जाने किसकी तलाश है... किसे खोज रही हूँ...
हॉलीवुड और नेटफ्लिक्स के ज़माने में
राजा रानी के किस्सों पर यकीन रखने वाला
एक राजकुमार खोज रही हूँ....
ना कीमती तोहफे़ , ना तोहफों में फ़ूल चाहिए
भले वाकिफ़ न हो मेरी पसंद के 'किताब' नामक तोहफे से
पर जो बना के किताब मुझे ताउम्र पढ़े
ऐसा कारी(रिडर) खोज रही हूँ....
ना जाने किसकी तलाश है... किसे खोज रही हूँ...
इंस्टाग्राम और ट्वीटर का दिवाना नहीं
जो मेरी दिवानगी में कोई कविता लिखे
ऐसा शा़यर खोज रही हूँ....
मेरे हर नखरे उठाए , रोऊँ तो हंसाना जाने
जब बिगड़ने लगे रिश्तों का ताना - बाना
मना ले मुझे गाकर आशिकी का गाना..
जो इस मरीज़ के दिल की दवा कर दे
ऐसा हकीम खोज रही हूँ....
ना जाने किसकी तलाश है... किसे खोज रही हूँ...
ना सिर्फ नामी (ब्रांडेड) सूट और महंगे बूट
जिस पर खादी की कमीज़ भी जचे
ऐसा नवाब खोज रही हूँ....
जिसे मैं पसंद आऊँ पहनकर न केवल सलवार कमीज़
जो न समझे छोटे कपड़ों में मुझे नुमाइश की चीज़
विचारों का ऐसा एक आजा़द परिंदा खोज रही हूँ....
ना जाने किसकी तलाश है... किसे खोज रही हूँ...
जहाँ मोहब्बत हर्फ-ए-अल्फ़ाज़ से बयां होकर
'लेट्स मूव ऑन' में दम तोड़ देते हैं
जहाँ कानों को 'लाउड म्यूसिक' भाते हैं , और लोग
एक छत के नीचे 'लिव इन' में बसते हैं
वहाँ अपने दिल के मकान का
इकलौता मालिक खोज रही हूँ....
ना जाने किसकी तलाश है... किसे खोज रही हूँ...
जो मुझे मेरे होने की आज़ादी दे
इस्तकामात(कमिटमेंट) ही नहीं एकांत भी दे
जो हाल-ए-दिल व्हाट्सैप स्टेटस में नहीं
एक प्यार भरे खत् में मुझ तक पहुँचाए
जो अपनी दौलत और शोहरत का रूतबा औरों को बताए
मुझे देकर दिल शिद्दत से मोहब्बत जताए
ऐसा दिलदार खोज रही हूँ....
ना जाने किसकी तलाश है... किसे खोज रही हूँ...