तकलीफ
तकलीफ
तकलीफ ज़ेहन में तो
हर मौसम अनजान है ,
कितने भी गुलिस्ता से गुज़रों
सब के सब वीरान हैं ।
जो तुम्हे दिखाई देता है
हँसता गाता, तो मान लो
कही तो होगा गहरा समंदर
जहा खोया हर इंसान है।
दिल की बात जो कहे
उसको सुनो दिल से ,
वक़्त बीत जाता है पंख लगाकर
ये कल आसमान है।
कोई मीठा खाओ न खाओ
पर राख पर ज़रूर जाओ
उन क्षणों से सीख जाओगे
ये सच ही शमशान है।