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Pushp Lata Sharma

Abstract

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Pushp Lata Sharma

Abstract

तकदीर लिखता है

तकदीर लिखता है

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कभी खुशियों का मौसम तो कभी वह पीर लिखता है

विधाता फूल की माला कभी जंजीर लिखता है।


बिना मर्जी के उसकी एक पत्ता भी नहीं हिलता

वही तो हर किसी इंसान की तकदीर लिखता है।


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