थोड़ा धीरे चलना!
थोड़ा धीरे चलना!
मैं भी हूं तेरे साथ
पलटकर देख एक बार
अपना ही नज़र आएगा,
चाहने वाला!
आस, प्यास, विश्वास लिए
तेरे पीछे हैं।
इतनी चटपटी तीखी मत बन,
तेरे चलने की आवाजें खींचे हैं।
थोड़ा धीरे करके चलना,
नहीं तो मैं छूट जाऊंगा!
कौन मुझे सहारा देगा!
तेरी आंचल की छाया देखकर आता हूं।
पग- पग पर गमों के ठोकर खाता हूं।
तुझे पता नहीं..
थोड़ा धीरे चलोगी,
तब तो पता होगा!
कौन पीछे हैं तेरे,
अपना या पराया!
तुझे विश्वास क्यूं नहीं होता!
मैं तेरे पीछे होकर रोता!
आता नहीं मुझे अब तेज चलना,
थोड़ा धीरे चलो!
मुझे अपने साथ ले लो!
मैं अपना हूं..!
मैं तेरे सुबह का सपना हूं।

