थैंक्यू टीचर
थैंक्यू टीचर
वो मां नहीं थी मेरी,
पर ख्याल मेरा शायद उनसे भी
ज्यादा रखती थी।
वो पिता नहीं थे मेरे,
पर उनकी डाँट का असर शायद
उनसे भी ज्यादा हुआ करता था।
दोस्त नहीं थे,
पर जाने क्यों मैं बेझिझक
हर दिल की बात
उनसे कह जाती थी।
उन्होंने कभी डाँट डपट कर
प्यार जताया,
कभी रोक टोक कर चलना सिखया।
कभी काली स्लेट पर चाक से
उज्ज्वल भविष्य का सूरज उगा
या।
कभी ढाल बन कर हर मुश्किल से बचाया,
कभी हक के लिए लड़ना सिखाया।
कभी गलती बता कर,
कभी गलती बचा कर
एक सच्चे गुरु का फर्ज निभाया।
कभी माता पिता बन दी सलाह,
कभी दोस्त बन हौसला बढ़ाया।
आज कहते हैं उन सभी
शिक्षको को धन्यवाद,
जिन्होंने हमें इस काबिल बनाया।