तेरी याद
तेरी याद
आज फिर बात करने को, क्यों तुझसे दिल चाहता है,
कुछ तेरी कुछ मेरी सुनने को दिल चाहता है,
हैं अजनबी भला, आज दूसरे से हम यूं तो,
फिर भी क्यों तेरा, हमसफर बनने को दिल चाहता है।।
है वक्त की आदत हर गम को भरने की मगर,
क्यों वक्त भी आज मगर, हारता सा नजर आता है,
तेरी यादों के घर में, एक छोटा सा आशियाँ था मेरा,
वो आशियां फिर से क्यों, बसाने को दिल चाहता है।।

