STORYMIRROR

Preeti Kukreti

Abstract

3  

Preeti Kukreti

Abstract

ओ गंगा

ओ गंगा

1 min
172

हिमालय से बहती तू

 स्वच्छ सी, निर्मल सी।।

 

पापनाशिनी तू मोक्ष प्रदायनी तू,

भागीरथी मंदाकिनी कहलाए


अविरल, अविनाशी सी

शिवजी की जटा में समाए


संसार द्वारा वंदीत तू,

वेद भी तेरी गाथा गाए,

हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी बसाए

हर हर गंगे तू कहलाए।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract