ओ गंगा
ओ गंगा
हिमालय से बहती तू
स्वच्छ सी, निर्मल सी।।
पापनाशिनी तू मोक्ष प्रदायनी तू,
भागीरथी मंदाकिनी कहलाए
अविरल, अविनाशी सी
शिवजी की जटा में समाए
संसार द्वारा वंदीत तू,
वेद भी तेरी गाथा गाए,
हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी बसाए
हर हर गंगे तू कहलाए।।