तेरी खातिर मैं आँखें जला
तेरी खातिर मैं आँखें जला
बीते है, कल के सबेरे
पिघला में, धूप, के घेरे
वक्त यूँ ही सिकुड़ता रहा
मैं दर्द चुपके सुनता रहा
वो कैसे बताएँ दिल की बातें
रहने, दो मैं, सह, लूँगा।।
तू रूठ जाना, मैं मना लूँगा
तेरी खातिर मैं आँखें जला लूँगा।।
वो आने दे सजायें रात
तू करने दे दिल खयालात
अब न छेड़ो तू अफसाना
गाने दे, दिल ये तराना
कैसे भूले, वो, हमसफ़र
जो बिखरा था अपना घर
वो नीले पड़े अश्क पुराने
ये आयी, रात मुझे सताने
इतना मर, न, मुझपे तू
मैं अश्कों पे तन्हा रह लूँगा।।
तू रूठ जाना , मैं मना लूँगा
तेरी खातिर मैं आँखें जला लूँगा।।
एहसास के लौं में जलता रहा
याद में तेरे, मरता, रहा
कतरा- कतरा टूट रही रात
जब आयी ख्वाबों की बारात
जलने दो इन लपटों से
मैं जलके भी जी लूँगा
तू, रूठ जाना , मैं मना लूँगा
तेरी खातिर में आँखें जला लूँगा।।
टूटा है खंजर दिल में मेरे
है जख्म अश्कों से यूँ भरे
मुझे अकेला ही जागना पड़ा
तेरे ज़र्रों में यूँ होना पड़ा
मुश्किल पे है नसीब मेरा
हम कब तलक होंगे तेरा
वक्त सन्नाटे में गुजरता है
चाँद अँधेरों से कुछ कहता है
तू दिल मत जलाओ अपना
मैं खुद ही दिल जला लूँगा
तू, रूठ जाना मैं मना लूँगा
तेरी खातिर मैं आँखें जला लूँगा
जब भी तेरी याद आती है
धड़कने राहें छोड़ जाती है
बहुत करता हूँ याद तुझे
जो तू गए हो छोड़ मुझे
गर तू वापस न आओ
तो रोके मैं जी बहला लूँगा
तू, रूठ जाना, मैं मना लूँगा
तेरी खातिर मैं आँखें जला लूँगा।

