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D.N. Jha

Abstract

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D.N. Jha

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तेरी डमरू की धुन

तेरी डमरू की धुन

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तेरी डमरू से हे भोले ,ये धुन कैसी जो आती‌ है।३

तू ही जाने ये धुन कितना, हे बाबा मुझे लुभाती है।।


तू ही कण-कण बसे भोले 

इस अंतर्मन बसे भोले।

तेरी डमरू की धुन भोले

सारी सृष्टि नचाती है।


तेरी डमरू से हे भोले, ये धुन कैसी जो आती‌ है।

तू ही जाने ये धुन कितना, हे बाबा मुझे लुभाती है।।


मेरे मन में बसो भोले,

अंतरतम बसो भोले।

तेरी डमरू की धुन भोले

मेरे कष्टों को हरती है।


तेरी डमरू से हे भोले, ये धुन कैसी जो आती‌ है।

तू ही जाने ये धुन कितना, हे बाबा मुझे लुभाती है।।



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