STORYMIRROR

darshit vasani

Others Romance

2  

darshit vasani

Others Romance

तेरे ही अलफ़ाज़

तेरे ही अलफ़ाज़

1 min
157


अलफ़ाज़ नहीं मेरे पास की तेरी

बातें कर सकु ,

जो भी चाहे वो सब अदा कर दूँ ?

बस एक वजह बता दे,

की ये सब में तेरे लिए कर दूँ।


हर बार ग़लती मेरी ही थी मान लूँ ?

बस कुछ तो ऐसा कर दे,

की मैं तुझे माफ़ कर दूँ।


भरोसा तो मैं यू इंसान पे भी ना करूँ?

कुछ तो बता दे ऐसा,

के मैं उन्हें बयां कर सकूँ।


मुस्कुराहट की जो तेरी बात भी कर लूँ ?

यू तो न कहोगी,

की उस लतीफे को ही झूठा कर दूँ ।


तू यहीं चाहती थी कि मैं तुझ पे गुस्सा कर दूँ ?

आँखें मेरी आज भी कहेंगी,

की सारी जिंदगी तुझ से रुसवा कर लूँ ।


             


Rate this content
Log in