तेरे दीदार की खातिर
तेरे दीदार की खातिर
तेरे दीदार की खातिर आते हैं।
यूँ ना समझ वेले हैं हम,
सीधे हैं साधे हैं पर गैले नहीं हम।
तुझे देख कर दिल को सुकून मिलता है
और उसी एक झलक को पाने दिल
ये शख्स कई कदम चलता है।
तू इतराता है इस बात पर कि
कोई तुझ पर इतना मरता है।
इतराना तेरा भी बनता है
ऐसा आशिक कहाँ हर किसी को मिलता है।
तो जब गुजरे तेरे घर के सामने से झलक
दिखाया कर, प्यार करते हैं
ऐसे मत तरसाया कर।