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Meenakshi Sharma

Inspirational

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Meenakshi Sharma

Inspirational

तेरा मन तेरी सी कविता

तेरा मन तेरी सी कविता

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तेरा मन तेरी सी कविता

मेरा मन मेरी सी कविता

बहती निःशब्द शब्द सरिता 

जैसा मन वैसी ही कविता


अब प्रेम लिखूं या विरह लिखूं

जीवन बीता किस तरह लिखूं

सृष्टि ने पग पग प्रेम रचा

जो भाग्य में था वो मुझे मिला

जो हाथ आया देखा न कभी

जो बीत गया वो ही पता चला

बहका मन बहकी सी कविता

महका मन महकी सी कविता

जीवन छोटा चाहत अमिता

जैसा मन वैसी ही कविता


चलो आगमन प्रस्थान लिखूं

भये कैसे स्वप्न निष्प्राण लिखूं

आए थे जो खुशियां देने

दे कर अनेक अवसाद चले

मैंने वो भी सिर माथे धारे

इस जग से जो प्रसाद मिले

आता मन आती सी कविता

जाता मन जाती सी कविता

थी समय की भी गति त्वरिता

जैसा मन वैसी ही कविता


कहो मेल लिखूँ या द्वन्द्व लिखूँ

या जीवन का मकरन्द लिखूँ

भीतर कितने ही द्वन्द्व चले 

पर होंठों पर तो मौन पले

कोई भीष्म हुआ कोई अर्जुन

सब वक्त के साँचे में ही ढले

भीगा मन भीगी सी कविता

रीता मन रीति सी कविता

कोई काव्यखण्ड कोई गीता

जैसा मन वैसी ही कविता


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