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Meenakshi Sharma

Inspirational

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Meenakshi Sharma

Inspirational

कंठ तब होता मुखर है...

कंठ तब होता मुखर है...

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कंठ तब होता मुखर है

भाव जब होता प्रखर है।


भीतर बवंडर डोलता है,

और हृदय ये बोलता है,

टीस हर अपनी छुपा ले,

सिसकियां गहरी दबा ले,

वेदना आँखों से बहती,

बांध तोड़ तोड़ कहती,

उंगलियों के बीच अब तू,

ले कलम यूँ खींच अब तू,

अश्रुओं को दे के वाणी,

अब सुना भी दे कहानी,

सृजन पा जाता शिखर है।

भाव जब होता प्रखर है।।


जग को करने दे किनारा,

स्वयं को दे कर सहारा,

पाँव अब आगे बढ़ा दे,

आंधियों को भी हरा दे,

आगे की सुध ले ज़रा तू,

होठों पर एक धुन सजा तू,

पूरा करना होगा कह कर,

लक्ष्य फिर एक बार तय कर,

उम्र कब गुज़री है रो कर,

ठोकरों को मार ठोकर,

जग पे भी होता असर है।

भाव जब होता प्रखर है।।



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