स्वयं
स्वयं
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स्वयं को करो नमस्कार,
मिलो स्वयं से, करो साक्षात्कार।
क्या बदले पहले से या अभी भी स्थिर हो
अपने से हो दूर या क़रीब हो।
आइने में देखो और करो आँकलन
क्या हिम्मत है करने की स्वमूल्यांकन।
अच्छाई और बुराई के अंकों को जोड़ो
किसका पलड़ा भारी, इंसानियत के तराज़ू पर तोलो।
दिल को निरंतर रख़ो स्वच्छ,
बुराई से बचने का यही है सुरक्षा कवच।
समय बिताओ स्वयं के साथ
छोड़ रहा वक्त, धीरे-धीरे साथ।
अहंकार और नकारतमकता धरी रह जाएगी
दुनिया को केवल आपकी अच्छाई याद आएगी।