स्वतंत्रता
स्वतंत्रता


स्वतंत्रता, हमें जान से प्यारी है
ये पहचान हमारी तुम्हारी है।
परतंत्र हो के पक्षी भी छटपटाते हैं
पिंजड़े में चोंच लहूलुहान हुए जाते हैं।
पिंजड़ा चाहे सोने का हो,
खाने को हीरा मोती मिले।
पर खुली हवा में विचरण का
जो आनंद है, वो और कहां?
पर स्वतंत्रता, बहुत विस्तृत शब्द है
इसे रखने का सलीका जानो, ये भी
आवश्यक है, बिना उसके ये खुद और
दूसरों के लिए घातक है।
मैं स्वतंत्र हूं तो कुछ भी करूं,
किसी को गाली दूं, कुछ मानूँ या ना मानूं।
कहीं जाऊं, कुछ खाऊं, बस मनमानी करूं
ऐसा जो करते हैं, इसका हनन करते हैं।
संविधान ने हमे स्वतंत्रता दी है,
हमें अधिकारों से नवाजा है पर
साथ ही हमारे कुछ कर्तव्य भी हैं
जिनके बिना, वो अधिकार व्यर्थ हैं।
एक की स्वतंत्रता, यदि दूसरे की
राह में रोड़ा अटकाती है तो ऐसी
स्वतंत्रता, किसी के काम नहीं आती है
बस समाज में अराजकता फैलाती है।
अपनी स्वतंत्रता का आदर करो
पर दूसरे की भी तो न निरादर करो।
सबका विकास, सबके साथ हो
ये संकल्प भी तुम्हारे हाथ हो।
स्वतंत्रता तभी कायम रह पाएगी
जब ये सबकी संतुष्टि का वाहक बने।
कोई एक राज़ करे तो दूजा उस पर नाज़ करे
छोटे बड़े, अमीर गरीब सबके सिर पर ताज रहे।