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अनजान रसिक

Inspirational

4.5  

अनजान रसिक

Inspirational

स्वतंत्र भारत

स्वतंत्र भारत

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वे क्या जानें स्वतंत्रता का मोल जिन्होंने मखमली बिछौनों पर चादर तान कर रात बितायी है ,

स्वतंत्रता का मोल तो क्रांतिकारियों से पूछो जिन्होंने असंख्य बेड़ियों में जकड़े हुए असंख्य रातें गुज़ारी हैं .

वे क्या जानें स्वतंत्रता का मोल जिनके एक हुकुम पर खड़ी हो जाती दुनिया सारी है ,

स्वतंत्रता का मोल तो उस से पूछो जिसके चहुँ ओर गोलेबारी और सिर्फ गोलेबारी है.

महलों में प्रकाश तले रहने वाले कारावास के तिमिर को कैसे पहचान सकते हैं, 

और जो निफ्राम रहे हैं अपने आशियानों में ,सड़कों पे आंदोलन करना क्या होता है ,वो कैसे जान सकते हैं..

आज़ादी तो वो चाशनी क

ा लड्डू है जिसे बनाने के लिए पहले शक्कर को घुलना पड़ता है ,

हर ज़ख्म सीने पर झेलना पड़ता है और खुद फौलादी बनना पड़ता है.

मात्र स्वतंत्रता का महोत्सव नहीं , शहीद के बलिदान का मातम भी सहना पड़ता है ,

बस अपनों को ही नहीं ,परायों को भी अपनों से बढ़ कर समझना पड़ता है. 

क्योंकि आज़ादी वो माला नहीं जो प्रदर्शन-मात्र के लिए सजाई जाए ,

ये तो एक मीठी सी अनुभूति है जो प्रतिपल महसूस कर सुरक्षित रखी जाए.

यूँ तो गगन का पक्षी भी आज़ाद कहलाता है, 

पर स्वतंत्र देशवासी सिर्फ वो है,

जिसके हर कृत्य में देशप्रेम और उसके लिए मर -मिट जाने का जज़्बा झलकता है .

 


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