वर्ग मित्रों का पुनरमिलन
वर्ग मित्रों का पुनरमिलन
स्कूल के बिछड़े इकसठवीं में मिले,
सभी बुरी यादें, गिले, शिकवे इकसठवीं में भूले
गुलदस्ते के फूल जो बचपन में थे खिले-खिले,
समय के आंधी से इधर-उधर मुरझाकर फैले
जब पुराने बचपन के दोस्त फिर मिले,
मुरझाये फूल फिर दुबारा पुराने चमक से खिले
मित्रों के चेहरे प्राकृतिक खुशी से खिले,
बारी-बारी से एक दूसरे को गले मिले
पुराने अनाप-शनाप बातों के दौर चले,
जिसे जो याद आयें वो खुलकर बोले
सभी अपनी- अपनी हैसियत पल भर भूले,
बिना संकोच से सभी एक-दूसरे से गले मिले
जिंदगी के दौर में कई दोस्त मिले,
कुछ याद रहे, बाकी सब को भूले
लेकिन स्कूल के बिछड़े जो इकसठवीं में मिले,
एक –दूसरे को नाम के साथ पुकार के बोले
अगर कितना अच्छा होता वो सुनहरा पल,
अगर हम भूले -भटके कभी मिले होते पहिले
सभी ने एक-दूसरे के हाल-चाल पुछे, मानो सदियों बाद मिले,
बिना संकोच अपनी सफलता के गुन-गाना गाते चले
किसी ने अपने दुःख-दर्द के राज नहीं खोले,
एक-दूसरे के खुशी में दिल से शामिल मिले
जब-जब बाहर आई और चमन में फूल खिले,
वो मेरे वर्ग मित्र तुम मुझे हमेशा आंखों में बसे मिले
जिन सहेलियों से कभी खुलकर नहीं बोले,
उनसे ऐसे मिले जैसे जनम-जनम के बिछड़े मिले
बड़ा अद्भुत नजारा था ,दुनिया के सभी खुशियों से अनमोल,
इसे संभाल कर रखना है मेरे दोस्त, जीवन के अंतिम पल
वाट्सअप सेकंड इनिंग रेसर ग्रुप का रहा योगदान,
जिसके बदौलत वर्ग मित्रों का पुनरमिलन हुआ आसान