हिम्मत की जीत
हिम्मत की जीत
न करो शुरुआत दिन की
आशंका और भय के घेरे में
इनके आ जाने से खो जाता है
विश्वास निराशा के अँधेरे में .
गम का डेरा हो जहाँ
अश्रु की निरंतर बहती धार
ऐसे उदास ह्रदय में
भला कैसे पनप सकता है प्यार .
आरम्भ किया नहीं, डाल दिए पहले ही
अपने सारे हथियार
बहुत समय है शेष, करने को पूरे
हैं ढेर सारे कार्य .
भगोड़ा न बनो,
तुम नहीं अकेले
संघर्ष करो, तभी
हो सकोगे पैरों पे खड़े.
कभी देखा है बिना मूसलाधार बारिश के
निकलते सतरंगे इन्द्रधनुष को
या कि हासिल करते विजय रण में
महसूस किये बिना दर्द औ दुःख को!
