न करो शुरुआत दिन की आशंका और भय के घेरे में! न करो शुरुआत दिन की आशंका और भय के घेरे में!
मेरे जख़्मों पर अब क्यों रोती है ? सहना तो तूने ही सिखाया था। मेरे जख़्मों पर अब क्यों रोती है ? सहना तो तूने ही सिखाया था।
दिल तू एक बार फिर वही खता कर बैठा है उस अंजान को तू अपना सब कुछ दे बैठा है! दिल तू एक बार फिर वही खता कर बैठा है उस अंजान को तू अपना सब कुछ दे बैठा है!
पहुँची पिया अँगना जब पायल बेड़ियाँ,चूड़ी लगती चाकू सी जब. पहुँची पिया अँगना जब पायल बेड़ियाँ,चूड़ी लगती चाकू सी जब.
चंदही घंटों में , खत्म होगा साल मन में भावना, क्या होगा हाल? चंदही घंटों में , खत्म होगा साल मन में भावना, क्या होगा हाल?