STORYMIRROR

Himanshu Sharma

Abstract

4  

Himanshu Sharma

Abstract

स्वीकार करो

स्वीकार करो

1 min
24.2K

आपको मिलेगा मनचाहा उपहार इंतज़ार करो, 

बम, गोलियां या रॉकेट सब सहर्ष स्वीकार करो !


बिना वीज़ा के एक बार ही ये सरहद तो पार करो,

बम, गोलियां या रॉकेट सब सहर्ष स्वीकार करो !


करनी है अगर दुश्मनी तो वो तुम असरदार करो,

बम, गोलियां या रॉकेट सब सहर्ष स्वीकार करो !


दहशतगर्दों को यूँ तुम उस पार से इस पार करो,

बम, गोलियां या रॉकेट सब सहर्ष स्वीकार करो !


गर यही करते रहे तो फिर बालाकोट तैयार करो,

बम, गोलियां या रॉकेट सब सहर्ष स्वीकार करो !


अपनों से इल्तज़ा है कि धरा पे पुनः अधिकार करो,

बम, गोलियां या रॉकेट सब सहर्ष स्वीकार करो !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract