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Dr. Akansha Rupa chachra

Tragedy

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Dr. Akansha Rupa chachra

Tragedy

स्वाभिमान

स्वाभिमान

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स्वाभिमान से जीते हैं मध्यवर्गीय परिवार

छोटी -छोटी जरूरतों को ताक पर रख कर 

अपने बच्चो का भविष्य बुनते हैं ।

जेबो मे सिक्के चंद फिर भी बुलंदी हासिल करने

कि ख्वाहिश रखते हैं ।

 छतो से रिसते पानी, बंजर आँखो से अपनो का दर्द

महसूस करते हैं ।

आत्मनिर्भर होकर अपने हक की खाकर गुजर बसर करते हैं ।

सुख की मुस्कुराहट, दुख की उदासी मिलकर बाँटा करते हैं ।

पड़ोसी को रिश्तेदार, आगुतक को ईश्वर का दर्जा देते हैं ।

नये जमाने की दिखावट मे ,चेहरे की बनावट से कही

आँखो से ओझल हो गए हैं सच्चे अहसास। 



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