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MS Mughal

Romance

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MS Mughal

Romance

सुरूर छा गया

सुरूर छा गया

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सुरूर छा गया देख कर तेरी अंमबरी आंखे 

समर ए जाम से लबरेज़ तेरी नशातरी आंखे 


हाय यह अदा ए हूर सा चलना तेरा 

आह मुं ए सियाह चेहरे से हटाना तेरा 

रूबरू ए सनम  जबां  गुम है हसन 

है अंजुमन ओ मेहताब ठिकाना तेरा 


सुरूर छा गया देख कर तेरी अंमबरी आंखे 

समर ए जाम से लबरेज़ तेरी नशातरी आंखे 


एक नगमा ए इश्क सुना रही है नसीम

मस्त  उड़ रही है हर सु गुल ए शमीम 

निगाह ए शौक़ कहूं या कहूं कोई करिश्मा 

मिला है जेसे मुझे कोई  मह ए क़सिम


सुरूर छा  गया देख कर तेरी अंमबरी आंखे 

समर ए  जाम से लबरेज़ तेरी नशातरी आंखे 


कोई तलअत रू है रूबरू 

महलका ए खूबा ओ रू 

सिमतन सिमबर तन बदन 

सियाह घटा है सियाह मुं।


सुरूर छा  गया देख कर तेरी अंमबरी आंखे 

समर ए  जाम से लबरेज़ तेरी नशातरी आंखे ।


नशातरी ( नशा चढ़ाने वाली ) 

तलअत रू ( सूरज सा चमकादर चेहरा ) 

महलका ए खूबा ( चांद सा चमकदार चेहरा ) 

सिमतन ( चांदी सी चमक ) 

सिमबर ( चांदी का टुकड़ा ) 

सियाह मुं ( काली जुल्फ ) 

नसीम ( खुशबूदार हवा ) 

गुल ए शमीम ( फूलो की खुशबू ) 

मह ए कसीम ( चांद सा खूबसूरत ) 



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