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SANDIP SINGH

Inspirational

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SANDIP SINGH

Inspirational

सुनता कौन गरीब की

सुनता कौन गरीब की

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सुनता कौन गरीब की, सब अपने में व्यस्त।

 जन जन यहां जुगार में,दया भाव है अस्त।।


सुनता कौन गरीब की,ज्यादा की है चाह।

 असंतोष में है सभी,खोयी सबका आह।।


सुनता कौन गरीब की, यहां लगी है होड़।

आगे आगे सब चले, बनना है बेजोड़।।


सुनता कौन गरीब की, हुई संकीर्ण सोच।

धनी सुखी खुद को करे,सभी करे आलोच।।


सुनता कौन गरीब की, खुद की चाह अथाह।

लगे हुए जी जान से, लेते सब से वाह।।


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