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Arshad Mirza

Inspirational

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Arshad Mirza

Inspirational

परिवार

परिवार

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खुशी अपनी मिटाकर सब रखा जिसको हमीं ने खुश,

वही खुद को अलग करने की मुझसे लग गया बातें।


सलीका बात करने का सिखाया था जिसे हमने,

वही देखो हमीं को अब दिखाने लग गया आंखें।


विदा बेटी को हमने कर रखा खुद को उधारी पर,

मगर देखो दहेजी को अभी फिर कर गया बातें।


जिसे पाला हमीं ने था वही देखो नहीं अपना,

मिरा बेटा मेरे जाने की करने लग गया बातें।


जिसे देखो हमीं को आंख दिखाकर बात करता है,

अगर हमने उठा दी तो कहोगे कर गया बातें। 


यहां सब लोग हमदर्द हैं मुझे अरशद नहीं लगता,

मेरे मौला वही सच है तेरी जो कर गया बातें।



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