नरक की कल्पना।
नरक की कल्पना।
कहते है कि ये काम, क्रोध, लोभ व मोह माया सदा,
इन सभी का तन-मन-धन से करना होगा अंत सदा।
विद्धानों ने बताया ये सभी नर्क के सभी द्वार हैं होते,
नरक की कल्पना जो पढ़ते व सुनते सोच डरते सदा।
यारों हमें ये नरक कल्पना में डरावना बहुत है लगता,
हमनें तो जीते जी ही जिसे देखकर परख़ा व समझा।
इंसान जीवित स्वर्ग और नरक में जा नहीं है सकता,
मरा हुआ इंसान बताता नहीं तो दोनों है लगता यहीं।