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Shubhra Varshney

Abstract

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Shubhra Varshney

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सुनो राष्ट्र के नव दिनकर

सुनो राष्ट्र के नव दिनकर

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सुनो राष्ट्र के नव दिनकर,

कर्तव्य पथ का भान करो।

तुम राष्ट्र के भाग्य विधाता,

नवभारत निर्माण करो।


धकेल तिमिर अंतर्मन का,

हृदय को नवदीप प्रदान करो।

काट पत्थर रुकावटों के,

राष्ट्र को सुंदर पथ प्रदान करो।


असफलता को मान चुनौती,

सदैव मन से स्वीकार करो।

मेहनत के धागों से बोल बुनकर,

राष्ट्र को सफलता का वस्त्र प्रदान करो।


नैतिकता का पथ अपना कर,

सत्य को नया आयाम दो।

अंतर्मन की पुकार सुन,

अपनी काबिलियत पहचान लो।


गर ठोकर खाकर गिर जाओ,

फिर उठ उम्मीद का दामन थाम लो।

तुम अदम्य बन जीवन में,

धधकती जीत के प्रमाण बनो।


लिए भगत सा रंग लहू में,

उन्नत राष्ट्र निर्माण करो।

तुम राष्ट्र के सौम्य स्वप्न,

बन दीप्ति राष्ट्र प्रकाश वान करो।


कर हौसला बुलंद बनकर साहसी,

भारत को विश्व गुरु का मान दो।

सुनो राष्ट्र के नव दिन कर,

कर्तव्यपथ का भान करो।


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